*आष्टा/ दिनेश शर्मा*
*इलाज के नाम फर्जीवाड़े की दुकान निकला एप्पल हॉस्पिटल*।
*शिकायत के बाद जागा स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ विभाग*।
*स्थानीय स्वास्थ विभाग ने प्रशासन के साथ जाकर एप्पल अस्पताल पर की छापे मार कार्यवाही,*
*मिली कई बड़ी खामियां*
*व्यवस्था और मापदंडों के नाम पर ढोल की पोल दिखाई दी। इस एप्पल अस्पताल में*
*राजनेतिक सरंक्षण में चल रहे यह निजी अस्पताल बेखौफ होकर इलाज के नाम पर कर रहे हे मरीजों की जान से खिलवाड़*
*जिला स्वास्थ विभाग की पोल खोल रहे है शहर के निजी अस्पताल* ,
*दिनेश शर्मा आष्टा हलचल*
आष्टा , – कोरोना काल के समय से कुकुरमुत्तो की तरह शहर में आवश्यक मापदंडों, नियमो और आवश्यक सुविधाओं के बैगर जिस तरह से निजी अस्पताल खुल गए है और खुल रहे हे, यह अस्पताल स्वास्थ विभाग के जिम्मेदारों के लिए भले ही सोने की टकसाल बन गए हो, पर आम भोले भाले लोगो को अच्छे इलाज के नाम पर बेखौफ होकर लूटपाट कर रहे हे, यही कारण है की जिम्मेदार यह सारा लूटमार का खेल देख कर भी अनदेखी करता है,सुविधा विहीन इन अस्पतालों में संसाधनों के और इलाज के लिए उचित परामर्श के साथ उचित इलाज के अभाव में कई मरीज अपनी जान गवां चुके है, अस्पताल में व्याप्त अनियमितताओं के बारे में जिला स्वास्थ विभाग न जानता हो ऐसा भी संभव नहीं है पर लक्ष्मी कांत का संगीत शायद मोन रहने के लिए विवश कर देता है ? वरना आज जिस तरह के हालात शहर के एप्पल अस्पताल में देखने को मिले उसने जिम्मेदारों की नियत और जिम्मेदारी पर सवालिया निशान अवश्य लगा दिए है,
एप्पल अस्पताल के विरुद्ध हुई शिकायत के आधार पर एसडीएम स्वाति उपाध्याय मिश्रा के निर्देश पर ब्लाक मेडिकल ऑफिसर जीडी सोनी, तहसीलदार पंकज पवैया ने अपने विभागीय अमले के और पुलिस बल के साथ शहर के निजी अस्पताल एप्पल हॉस्पिटल छापेमार कार्यवाही की।
कार्यवाही में प्रथम दृष्टया ही अनेकों प्रकार कमियां और अनियमिताएं दिखाई दे गई।
*3 घंटे चली कार्यवाही*
प्रात: 11 बजे आरंभ हुई जांच पड़ताल लगभग 3 बजे तक चली , जांच में अनेकों प्रकार की अनियमितताएं मिलने वा मरीजों कोझूठे सब्ज बाग दिखाकर जिस तरह से लापरवाही अपनाते हुए मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था , उसने जिम्मेदार अधिकारियों को अचंभित कर दिया , हैरत वाली बात यह रही की आन रिकार्ड भी पूरी तरह से फर्जी नजर आया
अस्पताल का भर्ती रजिस्टर, हो या डाक्टरों की उपस्थिति रिकार्ड भी सभी में अनियमितता नजर आई,
*सरकारी महिला चिकित्सक की सहभागीता भी स्पष्ट हुई*
एप्पल अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 7 पलंग लगे हुए थे, वार्ड में 4 मरीज भर्ती मिले, जिसमे महिलाओं के बड़े आपरेशन वाली और एक महिला प्रसूता के रूप में मिली, प्रसूता के पति से जानकारी ली गई तो उन्होंने और वार्ड की नर्स ने बताया कि यह प्रसूता महिला की की प्रसूति सरकारी अस्पताल में पदस्थ महिला चिकित्सक शुभम दलोद्रिया, ने यही आकर की।
संसाधन विहीन निजी अस्पतालों में अपने स्वार्थ से ग्रसित होकर जिस तरह से सरकारी डाक्टर अपनी सेवाए दे रहे, उससे सरकारी व्यवस्थाओं की पोल भी खुल रही हे
सूत्र बताते हे यह सरकारी महिला चिकित्सक सरकारी अस्पताल में महिला मरीजों को देखती है,और निजी अस्पताल का परामर्श देकर अपने हिसाब से निजी अस्पताल का पता देकर भेज देती है, और इसके बाद मरीजों से इलाज के नाम पर खुली लूट होती है ।
*बच्चे उस्मान अंसारी की मौत के बाद जागा प्रशासन*
इसी एप्पल अस्पताल में 3 दिन पहले एक बच्चा उस्मान अंसारी पिता सलीम अंसारी 13 वर्ष पेट दर्द को लेकर भर्ती हुआ था , इलाज शुरू होने के पूर्व ही अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के पिता से 5000 हजार रुपए जमा करवा लिए थे , और झूठे सब्ज बाग दिखाकर इलाज के नाम कर बेवकूफ बनाते रहे, और उस बालक की माकूल इलाज के अभाव में मौत हो गई थी, जिसकी शिकायत मृत बच्चे के पिता सलीम अंसारी ने एक आवेदन देकर एसडीएम स्वाति उपाध्याय मिश्रा को देकर अस्पताल के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की मांग की थी
*नही मिला कोई डाक्टर*
बड़ी बात यह रही की संसाधन विहीन अस्पताल में गंभीर बीमारियों के मरीजों को इलाज के नाम पर एडमिट भी किया जा रहा और क्रिटिकल आपरेशन भी किए जा रहे हे,
और सबसे हैरत वाली बात यह सामने आई की सिविल अस्पताल में पदस्थ महिला चिकित्सक शुभम दलोद्रिया भी अस्पताल में प्रसूताओ की जांच कर इस अस्पताल में भेज कर बेखौफ सीजर कर डिलेवरी करवा रही हे। और अपने तरीके से लाभ ले रही है।
एप्पल अस्पताल संचालन के लिए विधिवत जिन चिकत्सको के नाम विभाग को दिए थे उनमें से एक भी चिकित्सक मौके पर नही मिला, और न ही उनकी डिग्रियों की कोई जानकारी उपलब्ध हुई।
हैरत होती है की नोसिखियो के भरोसे ही पूरा अस्पताल संचालित हो रहा था ।
*प्रबंधन नही दे पाया जवाब*
अस्पताल में मिली कमियों और अनियमिताओं के साथ साथ रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक उल्लेखित मापदंडों की पूर्ति के अभाव संचालित एप्पल अस्पताल के डायरेक्टर अरुण वर्मा से जब अधिकारियों ने पूछताछ की तो प्रबंधन सहित डायरेक्टर अरुण वर्मा कोई जवाब नही दे पाए,
*सूर्या अस्पताल पर भी हो चुकी है कार्यवाही*
आपको बता दे इससे पहले सूर्या अस्पताल में स्थानीय स्वास्थ विभाग ने छापेमार कार्यवाही की थी और सूर्या अस्पताल में भी अनेकों खामियां, मिली थी , लेकिन आश्चर्य आज दिनाक तक सूर्या अस्पताल पर कोई कानूनी कार्यवाही नही हुई। यही कारण है की निजी अस्पताल संचालक बेखौफ होकर इलाज के नाम पर मनमानी कर रहे हे, और भोले भाले लोगो के साथ खुली लूटमार, कर अपनी तिजोरी भर रहे हे।
*मरीजों को दूसरे अस्पताल में किया शिफ्ट*
एप्पल अस्पताल पर हुई कार्यवाही के बाद जब अस्पताल को सील करने की कार्यवाही अमल में लाई गई तो अस्पताल में भर्ती मरीजों को दूसरे प्रायवेट अस्पताल में शिफ्ट किया गया,
पर इस शिफ्टिंग की व्यवस्था में पूरी जिम्मेदारी और निर्णय एप्पल अस्पताल के संचालक का ही रहा ।
ऐसे बहुत विचारणीय प्रश्न उठता है की निजी अस्पतालों में जिस तरह से आवश्यक सुविधाओं की और संसाधनों की कमियां व्याप्त रहती है, उसके चलते क्या गारंटी है की जिस निजी अस्पताल में मरीजों को भर्ती किया है वहां उन्हें माकूल इलाज मिल पाएगा?
कही ऐसा न हो की आसमान से गिरकर, खजूर में अटकने वाली कहावत चरितार्थ न हो जाए?
क्योंकि इस पूरी शिफ्टिंग प्रक्रिया में जिम्मेदार अधिकारियों ने जरा भी रुचि नहीं दिखाई।
*स्वास्थ विभाग भी शंका के घेरे में*
अब एप्पल अस्पताल पर हुई कार्यवाही ने एक बार फिर जिला स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली और विवशनीयता की पोल खोलकर कर रख दी है ।
और बता दिया की इस तरह के सारे अस्पताल जिला स्वास्थ विभाग के सरक्षण में चल रहे, इन अस्पतालो में मरीज की जान का कोई मोल नहीं है, यह बस अपना स्वार्थ रख कर मनमानी किए जा रहे हे ।
बिना नियमो और मापदंड के जिस तरह से यह प्राइवेट अस्पताल संचालित हो रहे हे , आज एप्पल अस्पताल पर हुई कार्यवाही ने जिला स्वास्थ विभाग को भी शंका के कटघरे में खड़ा कर दिया है।
*रिकार्ड भी किया जप्त, बनाया पंचनामा*
आज एप्पल अस्पताल पर कार्यवाही होने के बाद भर्ती मरीजों को दूसरे निजी अस्पताल में शिफ्ट किया गया और अस्पताल को पूरी तरह से सील कर पूरा रिकार्ड जप्त कर पंचनामा कार्यवाही की गई ।