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प्रधान संपादक:- श्री दिनेश शर्मा
मुख्य संपादक:- श्री पीयूष शर्मा

*हम तो कहेंगे,—–!* *आज आदर्श मंडी की उज्जवल साख ओर व्यापारत व्यापारियों पर जिस तरह से आरोप प्रत्यारोप, के साथ संकुचित स्वार्थी मानसिकता वाले लांछन लगाए जा रहे हे उससे लगता हे कि कहीं कतिपय लोगों द्वारा अपने निजी लाभ के लिए कृषि उपज मंडी को बदनाम करने की साजिश तो नहीं?*

आष्टा
*हम तो कहेंगे,—–!* *आज आदर्श मंडी की उज्जवल साख ओर व्यापारत व्यापारियों पर जिस तरह से आरोप प्रत्यारोप, के साथ संकुचित स्वार्थी मानसिकता वाले लांछन लगाए जा रहे हे उससे लगता हे कि कहीं कतिपय लोगों द्वारा अपने निजी लाभ के लिए कृषि उपज मंडी को बदनाम करने की साजिश तो नहीं?*

*दिनेश शर्मा आष्टा हलचल*

*क्या अपने निजी लाभ के लिए पूरे शहर की व्यापारिक प्रतिष्ठा को दांव में लगाया जा सकता हे ?*
यह बात आज हम इसलिए कर रहे हे, की आष्टा मंडी पर इन दिनों बीज बेचने का आरोप लगा रहा है, बस यही उत्सुकता रही, ओर हम भी पड़ताल करने पहुंच गए की आखिर हकीकत क्या हे ?
जाकर देखा तो प्रतीत हुआ कि
समूचे व्यापार व्यवसाय के स्वस्थ और विश्वसनीय संचालन से ही शहर उतरोतर उन्नति करता हे,
हम अपने शहर आष्टा की ही बात करे तो बाजार के स्वस्थ व्यापार के साथ साथ आष्टा की कृषि उपज मंडी शहर के विकास में प्रमुख रूप से अपना स्थान रखती हे यह अलग बात हे कि यदा कदा कथित कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ में ग्रसित होकर मंडी को बदनाम करने का प्रयास करते रहते हे । किंतु किसानों के विश्वास ने इस मंडी को सदैव अव्वल नंबर पर रखा हे ।
विदित रहे समूचे प्रदेश में आष्टा कृषि उपज मंडी अगर अपना विशिष्ट स्थान रखती हे तो क्षेत्र के ही नहीं अपितु आसपास लगे चार जिले बारह तहसील के किसानों का अटूट विश्वास ओर परिसर में कार्यरत स्थानीय प्रशासन, स्वस्थ व्यापार कर रहे व्यापारियों की बड़ी संख्या ओर उनकी प्रतिस्पर्धात्मकनीति है, यही वजह हे कि आष्टा कृषि उपज मंडी आज भी किसानों की पहली पसंद रहती हे, । यही कारण हे कि स्वार्थ में फंसे लोग जब मंडी की अस्मिता पर सवाल खड़े करते हे , तो चाहे प्रशासन जो या किसान कोई भी विश्वास नहीं करता ।
मंडी प्रांगण में अपनी उपज विक्रय करने आने वाले किसानों जितनी अत्यधिक सुविधाएं यहां मिलती हे,उतनी शायद ही किसी अन्य मंडी में उपलब्ध होती हो ?
जहां तक व्यापार का प्रश्न आता हे तो किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक भाव देने के लिए व्यापारी हर उपज को किस्म बार खरीदी कर उसकी साफ सफाई ग्रेडिंग कर क्वालिटी अनुसार विक्रय करता हे जिससे किसानों को भी अधिकतम भाव मिलते हे ओर व्यापारी को भी उसकी अथक मेहनत का लाभ मिलता हे ।

*बीज के नाम पर करते हे बदनाम*, –
किस्मवार ग्रेडिंग कर उपज के व्यापार को अनैतिक रूप से बीज का नाम देकर कर रहे हे बदनाम,
आष्टा मंडी में व्यापारी हर उपज को जिस तरह से किस्म अनुसार साफ सफाई कर बेचता हे , वह बीज नहीं होता बल्कि उपज किस्म वार होती हे जो कि व्यापारी की मेहनत का प्रमाण रहती हे, ओर इस तरह व्यापारी अपने व्यापार का संचालन कर व्यापार करता हे, यही प्रमुख वजह होती हे कि यहां का गेहूं जहां, पूरे भारत में प्रसिद्ध होकर नाम से बिकता हे , वही सोयाबीन ओर अन्य उपज चना, मसूर, मक्का सरसों, आदि उपज जहां आष्टा मंडी में किसान विक्रय करते हे, वही खरीदी भी करते हे, क्योंकि अथक मेहनत कर व्यापारी उपज की ग्रेडिंग कर क्ललीटी तैयार करता हे, ओर क्रय विक्रय करता है।
जोकि किसानों की पहली पसंद रहती हे, अब अगर कथित लोग इसे बीज का नाम देकर जिस तरह से आष्टा मंडी को अपने स्वार्थ के लिए बदनाम करने का प्रयास कर रहे हे तो इससे व्यापार पर जरूर अल्प समय के लिए प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा पर इसका दुष्प्रभाव किसानों मजदूरों पर कितना नुकसानदाई होगा शायद इसका अंदाजा इन कथित लोगों को नहीं है ?साथ ही शहर का अन्य व्यापार कितना प्रभावित होगा यह अंदाजा भी यह लोग नहीं लगा पा रहे है। या यू कहे कि स्वार्थ से ग्रसित लोग अंदाजा लगाना ही नहीं चाह रहे हे, जबकि जग जाहिर हे इसी तरह के अनर्गल आरोप प्रत्यारोपों के चलते आस पास की मंडिया आज वीरान जैसी हो गई हे, पूरा शहर व्यापार को लेकर परेशान रहता हे, सब कुछ जानते हुए भी यह लोग अपने स्वार्थ में इतने ग्रसित हो गए हे कि इन्हें शहर का अच्छा या बुरा दिखाई ही नहीं दे रहा?

हास्यास्पद लगता हे जब कोई सम्मानित  व्यक्ति भी कथित लोगों के बहकावे में आकर प्रदेश की आदर्श मंडी ओर उसकी सुचारू व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाते हे,तो ऐसा लगता हे जैसे इन्होंने भी ने भी अपने विवेक को किनारे रख कर शहर को स्वार्थ की भट्टी में धकेलने की अघोषित स्वीकृति दे दी हो।

खेर हम तो यही कहेंगे कि मित्रो राजनीतिक सत्ता आती जाती रहेंगी पार्टियां बदलती रहेगी, किंतु यह शहर इसका व्यापार सदैव सजीव रहना चाहिए, व्यापार जिंदा हे तो शहर सदैव उतरोतर विकास करेगा ।

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