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प्रधान संपादक:- श्री दिनेश शर्मा
मुख्य संपादक:- श्री पीयूष शर्मा

आष्टा   *आपके कर्म ही आपकी पहचान है,जैसे कर्म वैसी पहचान होगी,गुणानुवृद्धि वर्षायोग चातुर्मास को समाज ने सार्थक किया* —  *मुनिश्री विनंद सागर महाराज* ।

आष्टा
  *आपके कर्म ही आपकी पहचान है,जैसे कर्म वैसी पहचान होगी,गुणानुवृद्धि वर्षायोग चातुर्मास को समाज ने सार्थक किया* —  *मुनिश्री विनंद सागर महाराज* ।
*दिनेश शर्मा आष्टा हलचल*
चातुर्मास में सभी को धर्म लाभ मिलता है। सभी प्रकार के लोग हुआ करते हैं। सेवा व समर्पण भाव आगे लाता है। मुनि उन्हीं का नाम पुकारते हैं जो मुनि के साथ जुड़े रहते हैं। दुनिया में लोग पड़ोसी के सुख से दुःखी हैं।भोग विलास से समय निकालकर धर्म आराधना करते हैं,वे पुण्य अर्जित करते हैं।अरिहंत पुरम की युवा पीढ़ी ने चातुर्मास में काफी लगन से मुनि संघ की सेवा कर धर्म आराधना की ,इन युवाओं की सेवा की सराहना करते हैं। ऐसे समाज का भविष्य उज्जवल रहता है जिनकी युवा पीढ़ी धर्म आराधना और संतों की सेवा में रहती है, उनकी सफलता कदम चूमती है। बुजुर्गो का सानिध्य भी जरूरी है। धर्म क्षेत्र में काम करके दिखाएं।मुंह से तारीफ नहीं दुनिया तारीफ करें। 48 दिनों तक निर्विघ्न भक्तांबर विधान, पर्यूषण महापर्व में विभिन्न धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया। चातुर्मास का लाभ उठाया है समाज ने। युवा पीढ़ी में सुधार गुरुओं के सानिध्य के कारण हो रहा है।हर साल चातुर्मास कराएं, भले ही मंदिर नहीं बने।समाज एकजुट व युवा पीढ़ी सुधरती है। बहुत लाभ व ज्ञान में वृद्धि होती है। विहार करते हुए योगी सुखी रहते हैं।वे रमता जोगी बहता पानी की तरह है। पूरे भारत में विचरण करते हैं और पूरा भारत उनका परिवार है। निर्विघ्न चातुर्मास  सआनंद संपन्न।संत का काम सभी को एक सूत्र में बांधना है। गुरु का आशीर्वाद प्राप्त हो तो कोई विध्न नहीं आता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक गुरु होना जरूरी है।आप सभी के गुणों में वृद्धि हो। समाज सहित आष्टा वाले खूब उन्नति करें।संयम का उपकरण है पिच्छिका।
 कल्याण वहीं करते हैं जो नियम लेते हैं।ऐलक विनमित सागर महाराज, ब्रह्मचारी श्रीपाल भैय्या अमलाह भी मंच पर आसीन थे। मुनिश्री विनंद सागर महाराज को नई पिच्छिका सौंपने का सौभाग्य व्रतियों को मिला। मुनिश्री विनंद सागर महाराज की पुरानी पिच्छिका सागरमल, धर्मेन्द्र कुमार, जितेंद्र कुमार जैन अमलाह परिवार को मिली।वहीं ऐलक विनमित सागर महाराज को नई पिच्छिका नये व्रतियों ने सौंपी तथा आपकी पुरानी पिच्छिका गृहस्थ जीवन के भाई को दी गई।इस अवसर पर आचार्य श्री की पूजा में अर्ध्य अर्पित करने का सौभाग्य अरिहंत पुरम के विभिन्न मंचों एवं मंदिर समिति तथा मुनि सेवा समिति आदि को मिला।इस अवसर पर काफी संख्या में समाज जन उपस्थित थे।
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