आष्टा
*मठाधीशों के शरणनम हुआ कानून,
आष्टा*
*पीड़ित कर रहे है न्याय की गुहार*
*प्रेस वार्ता कर अपनी आपबीती सुनाई*
*दिनेश शर्मा*
हम बात कर रहे है बीती 14 अगस्त को निकली तिरंगा यात्रा के दौरान हुई मारपीट की घटना की, जिसके साक्षी रहे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि, ओर सरकारी कारिंदो का अभी तक भी मोन रहना अनेकों सवालों को जन्म दे रहा है।
बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताओं को जाति सूचक शब्दो से अपमानित कर पार्टी में प्रायोजित होकर आए मड़ माफियाओं ने बेरहमी से जिस तरह से मारपीट करी उसकी गवाही पीड़ित के शरीर पर उकरे गंभीर निशान स्वयं गवाही दे रहे है।
हैरत होती है पार्टी के सांसद, विधायक, नगर अध्यक्ष, के साथ साथ पुलिस प्रशासन के सभी अधिकारी इस घटना के स्वयं साक्षी रहे हे इसके बाद भी पीड़ित मजलूमों को न्याय नहीं मिल पा रहा है?
इससे प्रतीत होता है विधायिका और कार्यपालिका को रसूक दार अपनी जेब में रखने का दंभ भरते है ,यह अब देखकर हकीकत सा लगता है।
यह इस बात का प्रमाण है की पुलिस भी कार्यवाही के नाम पर पूरी तरह से टाल मटोल कर रही हैं। ऐसा हम इसलिए भी कह रहे है क्योंकि बीते दिवस लगभग 7 दिन बाद केवल शुभम पांचाल की रिपोर्ट लिखी गई, उसने में भी पुलिस ने अपने मुताबिक लेखनी चलाई।
साथ ही गगन खत्री को जिस तरह से जाति सूचक शब्दो से अपमानित किए जाने के बाद भी उसकी तो कोई बात सुनने वा समझने को तैयार नहीं है। ऐसे में पुलिस कितनी निष्पक्ष कार्यवाही कर रही हैं या करेगी, कहना मुश्किल है?
आपको बता दे विगत 14 अगस्त को आष्टा नगर में निकली तिरंगा यात्रा के दौरान भाजपा के ही युवा मोर्चा के पदाधिकारी आपस में लड़ाई कर थाने तक पहुंचे और वह आष्टा क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे और आखिर में आवेदन लेकर दोनों पक्षों को रवाना कर दिया गया। अब एक बार फिर उसी मामले को लेकर एक पक्ष जिसने जिला पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया लेकिन स्थानीय पुलिस के माथे पर जूं तक नहीं रेंगी।
आखिरकार पीड़ित पक्ष को अपनी व्यथा लेकर बुधवार को प्रेस से रूबरू होना पड़ा।सारे घटना क्रम को देखे तो यह तो पता चलता है की इस मामले को लेकर भाजपा पार्टी जो अनुशासन का गुणगान करती है ,आज इस मामले को लेकर सभी जिम्मेदारों के मुंह में दही जम गया है। पार्टी में जिस तरह से जमीनी कार्यकर्ता जो हर समय दरी बिछाने और झंडे उठाने का कार्य ईमानदारी से करते है उनको सरेआम बेखौफ होकर हिटलरशाही अंदाज में अपने झूठे रसूख का दिखावा कर प्रायोजित कलाकार पार्टी का दंभ भरते हुए दादागिरी करते है या मारपीट करते है उससे पार्टी के साथ साथ स्थानीय सत्ताधारियो की विश्वशनीयता पर भी लोग शक करने लगे है।
जानकारी अनुसार तिरंगा यात्रा रैली में क्षेत्र के सांसद, विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधि शामिल थे और पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद था, उसी रैली के बस स्टैंड कम्युनिटी हाल पर समापन में दो पक्ष आपस में लड़ लिए जिसमें पहला पक्ष महेंद्र ठाकुर बापचा (धाम सरकार) और उसके मित्र और दूसरा पक्ष मारपीट में घायल शुभम पांचाल, गगन खत्री थे जिनके साथ मारपीट के साथ साथ जाति सूचक शब्दो से अपमानित किया,
अपने साथ हुई घटना को लेकर जब स्थानीय स्तर पर कोई सुनवाई नहीं होती देख दूसरे पक्ष ने पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर अपनी आपबीती सुनाते हुए कार्यवाही की मांग की, लेकिन वहां भी शायद देव धामी का रूतबा भारी हो गया और नतीजा शून्य, निकला ।
बेबस मजबूर पीड़ित दोनो युवाओं ने आखिरकार बुधवार को प्रेसवार्ता बुलाकर पूरी वास्तविकता से प्रेस को अवगत कराया, की किस तरह से पार्टी के जिम्मेदारों के सामने हमारे साथ मारपीट हुई, ओर जाति सूचक शब्दो से अपमानित किया ।
अपनी व्यथा सुनाते हुए दोनो पीड़ितो ने भाजपा के उच्च नेतृत्व को भी घेरे में लेते हुए कहा कि जब स्थानीय जनप्रतिनिधि भी घटना स्थल पर मौजूद थे जिन्हे पूरी घटना की जानकारी थी, किंतु आज तक स्थानीय नेता गण हो या उच्च नेतृत्व सभी पूरी तरह से मोन साधे हुए है।
अनेकों फोटोग्राफ्स इस बात जी गवाही दे रहे है की मारपीट करने वाले लोगो का आलम आज क्या है।