*आचार्य श्री अदभुत शिल्पी थे –मुनिश्री* *निष्पक्ष सागर महाराज
जिसका अंत नहीं ऐसे अनंत गुणों के धारी भगवान है –मुनिश्री* *निष्प्रह सागर महाराज
जैन धर्म में महापुरुषों का जन्म पापियों के उद्धार के लिए होता है।कंकर को शंकर बनाया,आचार्य भगवंत ने- मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज
किसी के उपकार को कभी भी भूले नहीं — मुनिश्री निष्काम सागर महाराज* ।
*दिनेश शर्मा आष्टा*
आष्टा। हम आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज के उपकार दिवस को पहली बार उनकी अनुपस्थिति में मना रहे हैं।10-8-2013 को एक – दो नहीं 24 दीक्षा हुई थी। आचार्य विद्यासागर महाराज अद्भुत शिल्पी थे। जिसका अंत नहीं ऐसे अनंत गुणों के धारी भगवान है। जैन धर्म में महापुरुषों का जन्म पापियों के उद्धार के लिए होता है ।कंकर को शंकर बनाया आचार्य भगवंत ने ,किसी के उपकार को कभी भी नहीं भूले। हमने महावीर स्वामी, ज्ञान सागर, शांति सागर महाराज विभूतियों को नहीं देखा, लेकिन आचार्य विद्यासागर महाराज रत्नाकर को देखा। अद्भुत कृतियां हैं, सभी गुरु की तलाश और संगति चाहते हैं। सभी को अच्छे गुरु मिले संभव नहीं। गुरु की उपलब्धि किसे होती है, गिनें चुने लोगों में गुरु के प्रति समर्पण का भाव आता है। अभी हम भक्त की श्रेणी में है। शिशवत्व की भावना आने पर ही गुरु मिलेंगे। कर्म के उदय को किसने देखा है।कुंडलपुर वाले बड़े बाबा के बाद आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज किसी दूसरे भगवान को मानते थे वह आष्टा के अतिशयकारी आदिनाथ भगवान की प्राचीन और चमत्कारी प्रतिमा है।
उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजमान संत शिरोमणि आचार्य भगवंत श्री विद्यासागर जी महाराज एवं नवाचार्य श्री समय सागर महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य पूज्य मुनि श्री निष्पक्ष सागर जी, मुनि श्री निष्प्रह सागर जी, मुनि श्री निष्कंप सागर जी, मुनि श्री निष्काम सागर जी महाराज का बारहवां दीक्षा दिवस समारोह के अवसर पर चारों मुनिश्री द्वारा कही गई।
मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा आचार्य विद्यासागर महाराज इस सृष्टि के महत्वपूर्ण थे। आचार्य भगवंत की महान साधना थी, कभी भी असंयमी का नाम नहीं लिया उन्होंने अपने मुख से।ऐसी भव्य आत्मा पंचम काल में अब जन्म नहीं लेंगी।
अपनी-अपनी पहचान है। गुरु की नजरों में,नाम से नहीं काम से पहचान होती थी आचार्य श्री के पास। हीरे की पहचान जोहरी करता है।यह महावीर का मार्ग है, महावीर की यूनिवर्सिटी है खूब नकल गुरुओं की कर आत्म कल्याण करें। बुंदेलखंड को आचार्य श्री ने चुना, क्योंकि यहां पर अणुव्रत धारी अधिक है। गुरुदेव की दूर दृष्टि थी। आचार्य श्री ने 200 ब्रह्मचारियों में से 24 समर्पण वालों को आज के दिन दीक्षा आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने दी। 8 अगस्त गुरुवार को मिति के अनुसार गुरु उपकार दिवस के रूप में उत्साह पूर्वक चातुर्मास हेतु बिराजे चारों मुनियों की दीक्षा जयंती मनाई गई। आचार्य भगवंत की संगीतमय पूजन की गई। मुनि संघ का बारहवां दीक्षा दिवस समारोह गुरु उपकार दिवस के रूप में मुनि संघ के पावन सानिध्य में आज दिनांक 8 अगस्त गुरुवार को दोपहर 1:30 बजे से किला मंदिर में भव्य रूप से मनाया । उक्त आयोजन में आचार्य भगवंत श्री विद्यासागर पाठशाला के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति एवं आचार्य भगवंत की संगीतमय मंगलमय पूजन सम्पन्न हुई।गुरु उपकार दिवस पर चारों मुनिश्री के पाग प्रक्षालन के लाभार्थी निष्पक्ष सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य महेंद्र,मोहित जैन किशनगढ़ रहे। वहीं चारों संतों को जिनवाणी भेंट करने के लाभार्थी मनोज सेठी,पवन जैन अलीपुर, मनोज जैन सुपर एवं मुकेश बडजात्या रहे। मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने कहा जो दूसरे पर उपकार करें और उस उपकार को याद रखता है, उसे उपकार कहते हैं। उपकार और उपकारी दो शब्द है, दोनों एक ही शब्द लगते हैं। आचार्य भगवंत का उपकार है। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज ने अपने जीवन में आचार्य ज्ञानसागर महाराज जैसे गुरु को पाया था। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा बेगमगंज, कटनी, राजस्थान, भोपाल से काफी भक्त आएं। भक्त और अहंकारी को नहीं समझा सकते। साधु भी भक्तों के आगे हार जाते हैं। क्षेत्र की दूरी नहीं दिलों की दूरी होती है। गुरुदेव क्षण – क्षण और कण -कण में है। अपने आपको पुण्यात्मा मानता हूं।समय और देह कभी भी धोखा दे सकते हैं। गुरुदेव के अंतिम दर्शन मैंने किए, उनके चरणों में अंतिम समय रहा। गुरुदेव के उपकारों को बताना भी आवश्यक है।अपने गुरु की आज्ञा का कभी भी उल्लंघन नहीं करें, उल्लंघन करने वाले की दुर्दशा होती है। मुनिश्री निष्प्रह सागर महाराज ने कहा सभी साधुओं ने बहुत स्नेह दिया और मोक्ष मार्ग पर प्रशस्त कर रहे हैं। दोस्ती पर शानदार बातें कहीं।एक गर्म और एक नर्म दोस्ती बरकरार रहेगी। शरारत के बाबजूद बरकरार है दोस्ती। समुंद्र से भी गहरी है दोस्ती।