*हम तो कहेंगे —!* *दिनेश शर्मा*
बारिश ने खोली सड़को की पोल… नगरपालिका की उदासीनता आई सामने ।
— सड़को पर जल भराव, राहगीर हो रहे परेशान..।
दिनेश शर्मा / आष्टा
आष्टा। – बाबूजी जरा धीरे चलना बड़े गड्ढे है इस राह मे, वर्षा का मोसम आते ही हर साल शहरवासियों को सड़को पर जल जमाव और गहरे गढ्ढों का सामना करना पड़ता है।
बीते दिवस हुई बारिश ने एक बार फिर सड़को की पोल खोल दी। पानी से लबालब गड्डो मे वाहन हिचकोले खा रहे हैं। अस्पताल परिसर के पास जल जमाव होने से तालाब जैसी स्थ्ति बन गई है। इन मार्गो से आवागमन करने वाले राहगीर जिम्मेदारों को कोसते नजर आ रहे हैं।
सड़को के कायाकल्प के नाम पर शासन की और से करोडो रूपए आते हैं। लेकिन बारिश से पहले सड़को की हालत नही सुधर सकी, सोमवार को हुई बारिश से अस्पताल परिसर के पास एक बड़ा हिस्सा तलेया नजर आने लगा है। तो वही पूरे बुधवारा मार्ग और अन्य शहर के मुख्य मार्गो के हाल यह है की इन दिनों लोगो का पैदल या वाहन से निकलना दुश्वार हो गया हे गडो से आवागमन मे वाहन चालक परेशान हो रहे हैं। सोमवार को हुई बारिश से ये हाल है तो अनुमान लगाया जा सकता हैं कि अतिवृष्टि मे सड़क पर जल जमाव कितना होगा। ऐसा नहीं की इन गडो की जानकारी अधिकारियों को नही है। बावजूद इसके बारिश के पानी की निकासी को लेकर कोई व्यवस्था नही की गई। ।
बुधवारा चौरसिया टीवी सेंटर के पास के हालात यह है की थोड़ी भी बारिश हुई की इतना ज्यादा जल भराव हो जाता है की लोगो का निकलना मुश्किल हो जाता है, सड़क किनारे की दुकानों का हाल बुरा हो जाता है, इस जल भराव का बड़ा कारण है नगरपालिका के जिम्मेदारों की अज्ञानता क्योंकि जिस तरह से पानी निकासी के बड़े नाले का स्वरूप बदल दिया उसके कारण नाला संकीर्ण ही गया , उधर रेंज आफिस के पास भी वार्ड पार्षद के स्वार्थ ने नाले को छोटा कर ऊपर से निकलने के लिए अपने तरीके से एक आरसीसी का रोड बनवा दिया , जिससे भी नाला बहुत छोटा हो गया , और पूरा नाला ऊपर से ढक दिए जाने से सफाई के आभाव में पूरा गंदगी से लबरेज हो रहा हे, जिसके कारण आसपास के रहवासियों का रहना मुहाल हो गया हे। इस तरह शहर के पानी निकासी का या मुख्य नाले ने स्वार्थ से ग्रसित होकर अपने मूल स्वरूप को खो दिया।
और आज हालात यह हो गए है की थोड़ी सी भी बारिश पूरे बुधवार रोड पर निकलने वालो और रहवासियों के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब बन जाती है।
हैरत होती है आज नगरपालिका की नई परिषद को बैठे लगभग 2 वर्ष हो गए है पर शहर के हालत या तो जस के तस बने हुए हे या और ज्यादा खराब हो गए है ।
शहर के बाहर जिस तरह से कालोनियों में निर्माण कार्य चल रहे हे, और पूरा शहर अपनी दयनीय हालत पर बेबस हो सारा नजारा देख रहा हे उससे साफ प्रतीत होता है की जिम्मेदार शहर के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भूल गए है, वरना काया कल्प के नाम करोड़ों रुपया खर्च हो जाने के बाद भी शहर के हालत शायद इस तरह से नहीं रहते।