आष्टा
दिनेश शर्मा
गश्त के दोरान सतकूट प्रजाति की लकड़ी के गुटको से भरी पिकप वाहन वन विभाग की टीम ने पकड़ी । ऐसा वन विभाग का कहना है,।
पिकप में लकड़ी मात्र 3600/-रूपयो की ओर वाहन 4 लाख 75 हजार रुपए का आंकलन कर विभाग द्वारा कार्यवाही की गई ।
दिनेश शर्मा
जानकारी अनुसार, बीते दिनों आरोपी अलादीन पिता आजाद खां निवासी अरंडिया, इरफान पिता गफूर खां मैना एक पिकप क्रमांक एमपी 13 जेड एफ 5507 में सतकुट प्रजाति की लकड़ियों के गुटके भर आष्टा की ओर ला रहे थे , की वन विभाग की गश्त टीम के हत्थे चढ़ गए। फिर क्या था वही कहानी जो अक्सर यह विभाग कहता हे, की गाड़ी भाग रही थी, हमने पीछा कर घेराबंदी की ओर बहुत मशक्कत से पकड़ा ।
इस मामले में भी यही हुआ , पर मजेदार बात यह रही की भारी मशक्कत से पकड़े वाहन में मात्र 3600 रूपयो की सतकुट जलाऊ लकड़ी ही मिली, खेर विभाग ने कार्यवाही करी और लकड़ी के साथ वाहन की कीमत का आंकलन कर मामले को थोड़ा रोचक बना दिया ताकि कार्यवाही हास्यास्पद न बने। दरअसल यह कार्यवाही इस लिए भी शंका के दायरे में प्रतीत हो रही हे , क्योंकि , कुछ इसी तरह के सतकुट प्रजाति के दो बड़े पेड़ जब बेखौफ शहर के रहवासी इलाके में काटे गए और चिंता जनक बात यह रही की काटे गए पेड़ो से दर्जनों पक्षियों के घोंसले, और अंडे भी नीचे गिरकर नस्ट हो गए, जिसकी सूचना जब विभाग के जिम्नेदार अधिकारी को दी गई तो उन्होंने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का बता कर राजस्व विभाग की जिम्मेदारी का हवाला दे अपनी इतिश्री कर ली। जहा तक इस कार्यवाही का सवाल है तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हो गई, शायद इसी लिए मुखबिर की सूचना गश्त प्वाइंट में बदल गई ।
आपको बता दे, आष्टा अनुविभाग में दर्जनों आरामशीन बिंदास चल रही हे, और सभी जगह सतकुट लकड़ियों का चिरान होता है, सभी मशीनों पर बेशुमार सतकुत प्रजातियों की लकड़ियों के ढेर लगे हुए हे, क्या विभाग को जानकारी हे?की यह सब वैधानिक होकर दस्तावेजो में इंद्राज है?
अब की गई इस कार्यवाही के पीछे क्या वजह हो सकती है, यह तो विभाग ही जाने पर हां इस कार्यवाही ने आम जनमानस के जहन में अनेकों सवालों को जन्म दे दिया हैं।