नई दिल्ली. पूरी दुनिया में एजियाओ नामक उत्पाद के लिए गधे की खाल की मांग बढ़ा रहा है. एजियाओ की मांग के कारण चीन में गधों का अंधाधुंध कत्ल किया जा रहा है. इसने चीन में गधों की आबादी को घटाने में योगदान दिया है. यह मामला पूरी तरह क्रूर और अक्सर अवैध वैश्विक त्वचा व्यापार से जुड़ा है. एजियाओ ‘डंकी-हाइड ग्लू’ भी कहा जाता है. पारंपरिक चीनी इलाज के लिए बनने वाली दवाओं में यह एक प्रमुख सामान है. यह गधे की खाल से निकाले गए गोंद की तरह की एक परत से बनाया जाता है. इसको खाने के सामानों या सौंदर्य उत्पादों के लिए गोलियां या तरल पदार्थ बनाने के लिए जड़ी-बूटियों और अन्य सामानों के साथ मिलाया जाता है.
एजियाओ का उपयोग कई तरह के सामानों में किया जाता है. इसकी मांग बहुत है. जबकि सप्लाई सीमित है. मगर इसके बावजूद पिछले एक दशक में एजियाओ उद्योग बहुत तेजी से बढ़ा है. केवल 2013 और 2016 के बीच एजियाओ का सालाना उत्पादन 3,200 से बढ़कर 5,600 टन हो गया, जो कि 20 फीसदी से अधिक की वार्षिक बढ़ोतरी है. इस उद्योग की रिपोर्टों से पता चलता है कि 2016 और 2021 के बीच एजियाओ का उत्पादन 160 प्रतिशत बढ़ गया है. अगर मौजूदा रुझान जारी रहा, तो 2027 तक इसमें 200 प्रतिशत की वृद्धि होगी.
सालाना 59 लाख गधों की हत्या
एक अनुमान है कि एजियाओ उद्योग को ताजा मांग के पूरा करने के लिए अब कम से कम 59 लाख गधों की खाल की जरूरत है. चीन में अब एजियाओ उद्योग गधे की खाल के वैश्विक व्यापार पर निर्भर है. जिससे दुनिया भर में गधों की जान पर आफत आ गई है. दुनिया भर से गधों की खाल का व्यापार बढ़ने के कई दूरगामी विनाशकारी नतीजे होंगे. इसके कारण दुनिया भर में गधे कष्ट झेल रहे हैं और उनकी आबादी खत्म हो रही है. कई मानव समुदाय अपने बहुमूल्य साथियों को खो रहे हैं और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जोखिम का सामना कर रहे हैं. जबकि अपराधी अपने स्वार्थ के लिए कानूनी अस्पष्टताओं का फायदा उठा रहे हैं.
क्या है वो चीज, जिसके लिए चीन हर साल 60 लाख गधों की ले रहा जान? दे रहा मुंहमांगी कीमत

एजियाओ उद्योग का भविष्य?
गधों की चमड़ी से निकलने वाले कोलेजन की मांग को मानवीय और टिकाऊ तरीकों से पूरा किया जा सकता है. सेलुलर एग्रीकल्चर नामक प्रक्रिया का उपयोग करके गधों की चमड़ी से निकलने वाले कोलेजन को सुरक्षित रूप से और क्रूरता के बिना बनाया जा सकता है. इससे दुनिया भर में गधों की जान पर बना खतरा खत्म हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : February 19, 2024, 16:25 IST