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प्रधान संपादक:- श्री दिनेश शर्मा
मुख्य संपादक:- श्री पीयूष शर्मा

आष्टा *निजी स्कूलों में चल रही भर्राशाही, को देखने वाला नहीं* । *मिडिल की मान्यता वाले स्कूल हॉयर सेकेंडरी तक के बच्चों को फर्जी तरीके से एडमिट कर पड़ा रहे हे*।

आष्टा
*निजी स्कूलों में चल रही भर्राशाही, को देखने वाला नहीं* ।
*मिडिल की मान्यता वाले स्कूल हॉयर सेकेंडरी तक के बच्चों को फर्जी तरीके से एडमिट कर पड़ा रहे हे*।

दिनेश शर्मा आष्टा

शहर में कुछ कथित निजी स्कूल संचालक अपने स्वार्थ से ग्रसित होकर शिक्षा विभाग के नियमों , मापदंडों, ओर सिद्धांतों को बलाए ताक रख कर बेखौफ तरीके से अपने स्कूलों को संचालित कर रहे हे ।
बड़ी बात स्थानीय स्तर के जिम्मेदार अधिकारी भली भांति इन व्याप्त अनियमितताओं को जानते हे ओर समझते भी हे पर आश्चर्य होता हे सब आंखें खुली रख कर महाभारत के धृतराष्ट्र बने हुए हे ।
जानकारी अनुसार आपको बता दे शहर में कोई स्कूल ग्रामीण क्षेत्र की मान्यता पर ही संचालित हो रहा हे तो कुछ स्कूल ऐसे हे जिनकी मान्यता मात्र मिडिल क्लास तक ही हे, या किसी ने हाई स्कूल तक की मान्यता को अप्लाई कर रखा हे , पर यह इस तरह के स्कूल बेखौफ होकर अपने स्कूलों में हायरसेकेंड्री तक के बच्चों के फर्जी तरीके से एडमिशन कर पड़ा रहे हे ओर मोटी रकम फीस के रूप में ऐंठ रहे हे, साथ ही अघोषित रूप से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी कर रहे हे ।
इस तरह के मामलों में संचालकों की कलाकारी को अगर देखे तो फर्जी तरीके से मोटा नावां पीटते हुए इन्होंने अपनी स्कूल की मान्यता से ऊपर की क्लास के एडमिट कर रखे बच्चों को अन्य दूसरे स्कूल में अटैच कर रखे हे। ओर परीक्षाएं उस स्कूल के हिसाब किताब से बच्चे देंगे ।
यह सारा खेल भारी कमीशन बाजी ओर लालच के लिए बिंदास तरीके से चल रहा हे ।
हैरत होती हे यह सारा खेल दमदारी से कथित स्कूल संचालक खेल रहे हे ओर बच्चों के भविष्य से सीधा खिलवाड़ कर रहे हे , पर जिम्मेदार अधिकारी मोन रहकर यह सारा खेल कमाल रंगमंच हो रहे नाटक की तरह देख रहे हे, कोई इस गंभीर अनियमितताओं के खिलाफ कार्यवाही करने को तैयार दिखाई नहीं देता ।
इसके पीछे की वजह क्या हो सकती आज यह सारा नजारा देख आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता हे।
मान्यताओं में जिस तरह की भर्राशाही चलती आ रही हे , कही यह भी उसी प्रक्रिया का हिस्सा तो नहीं ? ,क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र निजी स्कूलों को प्रदत्त मान्यता उन स्कूलों के हालात देख कर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता हे कि जिम्मेदार कितनी पारदर्शिता के साथ नियमों ओर मापदंडों का पालन कर रहे हे ।
वरना शहर में इस तरह से बिंदास हजार निजी स्कूल संचालक अपने तरीके से स्कूल संचालित नहीं करते,?
आने वाले समय ने स्वाभाविक हे बोर्ड की परीक्षाएं भी होना हे परीक्षा केंद्रों पर सूचीबद्ध स्कूलों के बच्चे परीक्षाएं देने जाएंगे, साथ ही कुछ बच्चे जो दूसरे स्कूलों के जिनके पास इन कक्षाओं की मान्यता ही नहीं हे , जिन्होंने दूसरे स्कूलों में गलत तरीके से बच्चे अटैच कर रखे हे , वह भी अपने स्कूलों की ड्रेस में या सिविल ड्रेस में परीक्षाएं देने अवश्य जायेंगे , जिन्हें आसानी से चिह्नित किए जा सकते हे ।
वैसे भी अगर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इन कथित स्कूलों की बारीकी से जांच करे तो अभी भी बड़े खुलासे होकर इन कथित स्कूलों का पर्दाफाश हो सकता हे ।
आगे हरि की मर्जी ,

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