*भगवान महावीर के 2550 वें निर्वाण महोत्सव का अहिंसा रथ प्रवर्तन आष्टा पंहुचा*
*समाज जनों ने दर्शन किए*
*दिनेश शर्मा आष्टा*
आष्टा।अहिंसा रथ प्रवर्तन के दर्शन समाज जनों ने किए ।नगर के किला मंदिर पर अहिंसा रथ प्रवर्तन पहुंचा।यह रथ आचार्य सुनील सागर महाराज के आशीर्वाद और प्रेरणा से माह नवंबर 2022 में जयपुर से अशोक गेहलोत तत्कालीन मुख्यमंत्री ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। 22 -23 प्रदेशों में 40 हजार किलो मीटर की यात्रा पूर्ण कर आष्टा पहुंचा।रथ के साथ आए पप्पू भैय्या शाह ने बताया कि मुनिराज महावीर ने अपने बारह वर्ष के तपकाल में केवल 350 दिन ही अभिग्रह अर्थात विधि मिलने पर आहार ग्रहण किया था। आपने बताया कि भगवान महावीर के प्रमुख संदेश अहिंसा परमो धर्म,जीओ और जीने दो, सत्य,अचौर्य,ब्रह्मचर्य,अपरिग्रह,अनेकांतवाद एवं क्षमा । पप्पू भैय्या ने बताया कि इंसानियत को जिंदा रखने के लिए किसी के द्वारा अपराध हो जाने पर क्षमा करना आना चाहिए। प्रतिशोध की आग में तो दुनिया भी राख हो जाएगी। क्षमा से सहिष्णुता, सह अस्तित्व का विकास होगा। क्षमा करें और क्षमा मांग लें,जीत है इसमें हार नहीं है। क्षमा वीरों का आभूषण है, कायरों का श्रृंगार नहीं। आचार्य सुनील सागर महाराज की कृपा व प्रेरणा से यह रथ भगवान महावीर स्वामी का संदेश जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। समाज जनों ने रथ में रखी भगवान महावीर स्वामी की भव्य प्रतिमा के दर्शन किए।